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प्राचीन भारत में भौतिकी (Physics in Ancient India) |
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दिक् परिमेय पार्थिव परिमेय कर्म वेग गुण गणितीय समीकरण प्राचीन भारत में वर्ण मापन द्रव्य अप् विमर्श पदार्थ भौतिक विज्ञान की गवेषणा काल परिमेयत्व 'शब्द' : तरंग वृत्ति लेखक परिचय |
प्राक्कथन इस प्रस्तुति में भारत वर्ष में भौतिक विज्ञान की परम्परा का विवेचन है। इस प्रस्तुति का आधार मुख्यत: डॉ० नारायण गोपाल डोंगरे जी द्वारा प्रस्तुत शोध प्रबन्ध (Ph.D. Thesis) है। उक्त शोध का शीर्षक "वैशेषिक सिद्धान्तानां गणितीय पद्धत्या: विमर्श: (भारतीय भौतिक शास्त्रम्- Hindu Physics)" है। डॉ० डोंगरे को सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा इस शोध प्रबन्ध पर विद्या-वारिधि (Ph.D.) की उपाधि प्रदान की गयी। इनके अन्य शोध-पत्र INSA (Indian National Science Academy) के जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। इनसे भी सामग्री ली गयी है। यद्यपि आर्ष साहित्य अपनी आध्यात्मिक सम्पदा के लिए विख्यात है तथापि भौतिक विज्ञान से सम्बन्धित सामग्री भी हमारे वाङ्मय में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। विद्वान् लेखक ने इस प्रस्तुति के माध्यम से भौतिक विज्ञान से सम्बन्धित भारतीय वाङ्मय के बिखरे हुए मणि-मुक्तक बड़े यत्न से संजोया है। आशा है पाठक इससे लाभान्वित होंगे तथा यह प्रयास विज्ञान के क्षेत्र में भारत के प्राचीन गौरव से सभी को परिचित करायेगा। इस प्रस्तुति से सम्बन्धित आपके विचारों की प्रतीक्षा umeshvaidik@gmail.com पर रहेगी। भारतीय वाङ्मय को काल की दृष्टि से निम्नलिखित भागों में विभक्त किया गया है -
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