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संगमनी |
ॐ |
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वैज्ञानिक संस्कृत साहित्य वैदिक साहित्य संगणकीय संस्कृत |
आ नो॑ भ॒द्राः क्रत॑वो यन्तु वि॒श्वतोऽद॑ब्धासो॒ अप॑रीतास उ॒द्भिदः॑। दे॒वा नो॒ यथा॒ सद॒मिद् वृ॒धे अस॒न्नप्रा॑युवो रक्षि॒तारो॑ दि॒वे दि॑वे॥ ऋग्वेद १.८९.१ संगमनी का उद्देश्य- १. संस्कृत भाषा एवं प्रौद्योगिकी से जुड़े संसाधनों से शोधार्थियों को परिचित करवाना २. संस्कृत भाषा से जुड़े शोधार्थियों को एक अन्ताराष्ट्रिय स्तर का शोधमञ्च प्रदान करना ३. वैज्ञानिक संस्कृत साहित्य से जुड़े शोध को बढ़ावा देना एवं उसे लोकप्रिय बनाना ४. संस्कृत के ज्ञान-विज्ञान का सम्पूर्ण मानवता के हित में प्रचार-प्रसार ५. भारतीय विज्ञान एवं भारतीय संस्कृति से सम्बन्धित उच्चकोटि की शैक्षिक सामग्री को जनसामान्य के लिए भी सुलभ बनाना ताकि एक आम भारतीय नागरिक अपने देश की वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों को पश्चिमी देशों के समक्ष कम समझ कर हीनभावना से ग्रस्त न हो। |
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Last updated: February, 2012 |